सोलर पैनल में मेटनेंस खर्च नहीं आता, लेकिन हर 10 साल में एक बार बैटरी बदलनी होती है. जिसका खर्च करीब 20 हजार रुपए होता है. इस सोलर पैनल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है.
एयरकंडीशनर भी चलेगा
एक किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल में आमतौर पर एक घर की जरूरत की पूरी बिजली मिल जाती है. अगर एक एयरकंडीशनर चलाना है तो दो किलोवाट और दो एयर कंडीशनर चलाना है तो तीन किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल की जरूरत होगी.
बैंक से मिलेगा होम लोन
सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए यदि एकमुश्त 60 हजार रुपए नहीं है, तो आप किसी भी बैंक से होम लोन ले सकते हैं. वित्त मंत्रालय ने सभी बैंकों को होम लोन देने को कहा है. अबतक बैंक सोलर प्लांट के लिए लोन नहीं देते थे.
बेच भी सकते हैं एनर्जी
राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में सोलर एनर्जी को बेचने की सुविधा दी जा रही है. इसके तहत सोलर पावर प्लांट से पैदा की गई अतिरिक्त बिजली पावर ग्रिड से जोड़कर राज्य सरकार को बेची जा सकेगी. उत्तर प्रदेश ने सोलर पावर का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहन स्कीम शुरू की है. इसके तहत सोलर पैनल के इस्तेमाल पर बिजली बिल में छूट मिलेगी.
कैसे कमाएं पैसे
घर की छत पर सोलर प्लांट लगाकर बिजली बनाई जा सकती है. इसे बेचकर आप पैसा कमा सकते हैं. इसके लिए ये कुछ काम करने होंगे...
> लोकल बिजली कंपनियों से टाइअप करके बिजली बेच सकते हैं. इसके लिए लोकल बिजली कंपनियों से आपको लाइसेंस भी लेना होगा.
> बिजली कंपनियों के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट करना होगा.
> सोलर प्लांट लगाने के लिए प्रति किलोवाट टोटल इन्वेस्टमेंट 60-80 हजार रुपए होगा.
> प्लांट लगाकर बिजली बेचने पर आपको प्रति यूनिट 7.75 रुपए की दर से पैसा मिलेगा.
राज्यों को दिया सरकार ने लक्ष्य
मंत्रालय ने सभी राज्यों के लिए लक्ष्य तय कर दिए हैं. मंत्रालय के मुताबिक, रूफटॉप सोलर प्लांट से सबसे अधिक बिजली तैयार करने का लक्ष्य महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश को दिया गया है. महाराष्ट्र 2022 तक को 4700 मेगावाट और उत्तर प्रदेश को 4300 मेगावाट बिजली उत्पादन करना है. इसके अलावा गुजरात को 3200 मेगावाट, तमिलनाडु को 3500 मेगावाट, मध्य प्रदेश को 2200 मेगावाट, ओडिशा को 1000 मेगावाट, पश्चिम बंगाल को 2100 मेगावाट, कर्नाटक को 2300 मेगावाट, दिल्ली को 1100 मेगावाट, छत्तीसगढ को 700 मेगावाट का लक्ष्य दिया जाएगा. छोटे राज्यों के लिए 100 से लेकर 250 मेगावाट तक लक्ष्य देने का निर्णय लिया गया है.
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